Petrol Car Or Electric Car Me Kya Antar Hai In Hindi

Petrol Car Or Electric Car Me Kya Antar Hai In Hindi: आज कल E-car का Trend है और काफ़ी आम लोगो का Center Of Attraction बना है। यही वज़ह है कि आज कई लोग नै Electric Car खरीदने से कतराते हैं।

इसके पीछे की मुख्य वज़ह है, पेट्रोल कार और इलेक्ट्रिक कार के बिच क्या अंतर हैं? इसके बारे में पता नहीं हैं। यदि आप भी Old Petrol car Or New Electric Car Me Kya Fark Hai? नहीं जानते तो आपको ये आर्टिकल पूरा पढ़ना चाहिए।

तो चलिए, बढ़ते हैं मुख्य आर्टिकल की ओर और Petrol Car Or Electric Car Me Kya Antar Hai In Hindi के बारे में:

Petrol Car

पेट्रोल कार हो या डीज़ल कार, ये सभी Internal Combustion Engine पर कार्य करती हैं। कार में प्रयोग होने वाले ईंधन (पेट्रोल या डीज़ल) से कार के इंजन में ऊर्जा उत्पन्न होती है, जिस वज़ह से कार के पईहे दौड़ने लगते है।

पेट्रोल कार हो या डीज़ल के Internal Combustion के परिणाम स्वरुप हालांकि इस पुरे प्रक्रिया में CO2 Gas का निर्माण होता है, जो कार में लगी silencer की मदद से कार से बाहर निकलकर वायुमंडल में चला जाता है।

वहीं, ये Carbon Dioxide Gas पर्यावरण के लिए बेहद हानिकारक है और उससे पर्यावरण भी प्रदूषित होता है।

Electric Car

Electric cars में Engine की जगह Electric Motor लगी होती है। ये Electric Motor या तो Partially या Completely बिजली द्वारा संचालित होती है। Electricity पर चलने के कारण Electric cars में किसी भी तरह का Internal Combustion नहीं होता है।

और Internal Combustion नहीं होने के कारण इससे कोई Harmful Gas भी नहीं निकलती हैं। यही वज़ह है कि ये Environment Friendly है और ये इससे Atmosphere भी प्रदूषित नहीं होता है।

Petrol Car Or Electric Car Me Kya Antar Hai In Hindi

यदि हम बात करें कि Petrol Car Or Electric Car Me Kya Antar Hai? तो आपको बता दू इन दोनों वाहनों में काफ़ी बड़ा अंतर है। जैसे कि:

पर्यावरण प्रभाव:

आज कल बढ़ते Competition के चलते पूरी दुनिया में काफ़ी तेज़ी से दुनिया में बदल हो रहे हैं। ऐसे में, Road पर Vehicles की संख्या भी तेज़ी से बढ़ती जा रही है, और जब Cars की संख्या की बढ़ेगी, Car से निकलने वाले धुवां के कारण हमारा वातावरण भी Pollute होगा।

यदि हमारी आने वाली पीढ़ी को हमे Clean & Good Environment देना चाहते हैं, तो हमें Petrol Cars और Diesel Cars का Option ढूंढ़ना होगा। ऐसे में Electric Vehicle (EV) से दूसरा कोई अच्छा Option नहीं हो सकता है।

आपको पता ही है कि E-Vehicle ये Electricity से चलती है जिस वजह से EV से किसी भी अन्य प्रकार के Harmful Gases Emitted नहीं होता।

ड्राइविंग कोस्ट

Petrol Car Or Electric Car Me सबसे बड़ा Antar ‘Driving Cost का है। दरअसल Electric Car Battery को charge करने के बाद ही Run Kar Sakti है और ये single charge में लगभग 400 Km तक Range दे सकती है, जिसकी कीमत लगभग 1.2 से 1.4 Rs/Km तक आती है।

इसके अलावा, petrol और diesel पर दौड़ने वाली Cars की Driving Cost लगभग 7 से 10 Rs/Km तक Cost आ सकती है।

मॉडल Or वेरिएंट

यदि हम बात करे Electric Vehicle और Petrol Model की तो ये काफ़ी स्पष्ट है कि Petrol Car में आपको कई अधिक संख्या में Model या Variant मिलेंगे।

हालांकि, Electric Cars का हाल में अविष्कार हुआ हैं और लेकिन अभी तक Petrol Car की तुलना E-Cars को उतना अच्छा response नहीं आया है। क्योंकि कई लोग आज भी Electric Car खरीदने से पहले काफ़ी सोच-विचार कर निर्णय लेते हैं।

परंतु, जैसे-जैसे E-Car की लोकप्रियता बढ़ते जा रही हैं, वैसे-वैसे E-Cars बनाने वाली कंपनीज भी अब Electric Car के Modelऔर उसके Variant पर काफ़ी ध्यान दे रही है।

रनिंग कॉस्ट

Electric car की शुरुवाती कीमत की Petrol Cars की तुलना में काफ़ी अधिक होती हैं। Electric car की कीमत काफ़ी ज़्यादा होने की वजह इसमें इस्तेमाल होने वाली Lithium Ion Battery होती हैं जो काफ़ी महंगी होती है।

लेकिन, Electric Car का अधिक इस्तेमाल हो इसके लिए भारत सरकार Subsidies और नए-नए Schemes को लॉन्च कर रही है।

जैसे कि Electric Vehicle खरीदने पर Tax में भारी छूट मिलती है। ये कहना अधिक गलत नहीं होगा कि भारत सरकार के इन सब प्रयासों की वजह से भविष्य में Electric Vehicle की कीमत petrol car के बराबर हो जाएगी।

जीवन काल

Petrol Car और Electric Car के जीवनकाल में काफ़ी बड़ा अंतर है। दरअसल, हाल ही में दिल्ली सरकार ने दिल्ली में 10 साल से अधिक पुरानी diesel cars को हटा दिया है, जबकि Electric Car को 15 साल तक आराम से चला सकते हैं।

कई रिपोर्ट में ये दावा किया गया है कि Electric Car Battery Life लगभग 10 से 12 साल तक चल सकती हैं। हालांकि, Electric Car की Battery को बदलवाने का खर्चा काफ़ी ज़्यादा होता है।

सर्विस और मेंटेनेंस

हमने ऊपर जाना कि Electric Car में काफ़ी कम में moving parts होते हैं। इसी वजह से Electric Car की servicing की आवश्यक्ता काफ़ी कम पड़ती है।

Electric Car servicing के नाम पर केवल विंडो पैनल और टायर के servicing करने की ज़रूरत पड़ती है। Electric Car में इस्तेमाल होने वाली Lithium Ion battery की लाइफ लगभग 5-7 साल का होता है अतः उससे पहले उसे बदलने या servicing की आवश्यक्ता नहीं पड़ती है।

परंतु, वही अगर हम बात करे petrol car कि तो petrol car का Performance बनाये रखने के लिए बार-बार Service और Maintenance करने की ज़रूरत पड़ती है।

इसके अलावा, Electric Car में कई सारे moving parts होने की वजह से इसका Maintenance करने की जरुरुत पड़ती है। यदि, किसी petrol car का कोई spare part ख़राब हो जाता हैं, तो  उसके spare part ढूंढना अधिक आसान होता है।

Petrol Pumps Vs Charging Stations

चूँकि Electric car की डिमांड काफी ज़्यादा होता है। Petrol car के लिए Petrol Pumps काफ़ी हद तक आसानी से उपलब्ध हो जाती है इसके साथ हीं किसी भी कार का टैंक फुल करने के लिए 5 मिनट से जयादा है।

हालांकि, वही Electric Vehicle की बात करे, तो इसका प्रचलन या उपलब्धता कम होने के कारण Charging Stations की संख्या काफ़ी कम होती है और साथ हीं इलेक्ट्रिक कार को चार्ज करने में कम से कम 1 घंटे का समय लगता है।

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